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RANGBHOOMI ( रंगभूमि ) Paperback

Original price was: ₹300.00.Current price is: ₹270.00.

By Premchand ( प्रेमचंद )

 

प्रेमचंद (1880-1936) का जन्म बनारस के निकट लमही गाँव में हुआ था। स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद अनेक प्रकार के संघर्षों से गुजरते हुए उन्होंने बी. ए. की पढ़ाई पूरी की। इक्कीस वर्ष की उम्र में उन्होंने लिखना प्रारंभ किया। लेखन की शुरुआत उर्दू में नवाब राय नाम से किया और 1910 में उनकी उर्दू में लिखी कहानियों का पहला संकलन ‘सोज़ेवतन’ नाम से प्रकाशित हुआ। इस संकलन को ब्रिटिश सरकार ने जब्त करवा दिया। इसके बाद उनके जीवन में नया मोड़ आया। अपने लेखन का माध्यम उन्होंने हिन्दी भाषा को बनाया और ‘प्रेमचंद’ नाम से लिखना शुरू किया। आगे चलकर यही नाम भारतीय कथा-साहित्य में अमर हुआ। प्रेमचंद ने 1920 तक सरकारी नौकरी की। इसी समय उपनिवेशवादी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध पूरे देश में सत्याग्रह शुरू हुआ जिसका उनके मन पर गहरा असर हुआ और उन्होंने सरस्वती प्रेस की स्थापना की और 1930 में ‘हंस’ नामक ऐतिहासिक पत्रिका का संपादन-प्रकाशन शुरू किया।
प्रेमचंद ने लगभग तीन सौ कहानियाँ लिखी हैं। इनके अलावा अनेक उपन्यास और वैचारिक निबंध लिखे। गोदान, सेवासदन, प्रेमाश्रम, ग़बन, रंगभूमि, निर्मला आदि उनके अनेक प्रसिद्ध उपन्यास हैं। ‘प्रेमचंद: विविध प्रसंग’ उनके वैचारिक लेखों का संकलन है।

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इस महत्त्वपूर्ण उपन्यास की कथा एक अंधे भिखारी सूरदास को लेकर रची गई है। यह पात्र अपनी तथा गाँव की जमीन के लिए मरते दस तक लड़ता दिखाया गया है। यह 1930 के आंदोलन की शुरुआत के पहले लिखा गया था। इसमें प्रेमचंद की भावी राजनीतिक दृष्टि झलकती है। उनका पात्र सूरदास कहता है, ‘‘फिर खेलेंगे ज़रा दम ले लेने दो।’’ यह भारत की जनता की ओर से मानो अंग्रेजी शासन को चुनौती दी गई हो।
कहना चाहिए कि यह रचना सन् 1920 और 1930 के आंदोलनों के बीच हिंद-प्रदेश की रंगभूमि है। इसमें अनेक प्रकार के लोग हैं राजा, ताल्लुकेदार, पूंजीपति, अंग्रेज-हाकिम, किसान, मजदूर-हिंदुस्तानी जीवन की एक विशद झांकी देखने को मिलती है। अभी तक प्रेमचंद के किसी उपन्यास में इतने विविधा वाले पात्र एक साथ नहीं आए थे जो इतने ही अविस्मरणीय भी हों। यह प्रेमचंद के बढ़ते हुए कौशल का परिचय देता है।

Weight 0.750 kg
Dimensions 24 × 14 × 3 cm

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