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Ubhay Bharti(उभय भारती) Paperback

Original price was: ₹450.00.Current price is: ₹425.00.

By Prabha Kumari ( प्रभा कुमारी )

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आर्यावर्त के चित्रफलक पर अतीत की गाथाएँ-कथाएँ अनवरत प्रवाहमान है। परम्पराओं और संस्कृतियों के बीच लोकमानस में कई कालखण्ड के चित्र उभर आते हैं… अन्तहीन, आदिहीन उन्नत चिन्तनधारा को प्रवाहमान करने, जिसमें चुनौतियाँ भरी पड़ी हैं। ‘उभय भारती’ प्रभा कुमारी की औपन्यासिक कृति है, जिसमें वर्तमान की चित्रापटी पर अनन्त दर्शन लिये भूत खड़ा है… कुछ कहने के लिये। वर्तमान का एक मजबूत स्तम्भ अतीत जिस पर कथा की नींव है… वैसे भूत का अपना वर्तमान होता है। महापण्डित मंडन मिश्र और शंकराचार्य के बीच शास्त्रार्थ हुआ था, जिसमें मंडल मिश्र हार चुके थे। उनकी अर्द्धांगिनी उभय भारती पति का साथ देने के लिये ‘कामशास्त्र’ से प्रश्न पूछने लगी शंकराचार्य से जो बचपन से संन्यासी थे। सांसारिकता से अनभिज्ञ एक ट्टषि से ‘कामशास्त्र’ का प्रश्न पूछना कितना सार्थक… किया निरर्थक हो सकता है। लोकमानस में आज भी यह प्रश्न चुनौतीपूर्ण-सा है। अतीत वर्तमान से बातें करता है। सच तो यह है कि उभय भारती का शास्त्रार्थ करना शंकराचार्य के लिये चुनौतीपूर्ण था, पर उस कालखण्ड के उन्नत सामाजिक व्यवस्था का द्योतक भी है। लोकमानस में आज भी निरन्तर कथा चल रही होती है। वैसे तो उभय भारती उपन्यास में समानान्तर कथाएँ निरन्तन चलती रही हैं। उभय भारती, मंडन मिश्र और शंकराचार्य उस कालखण्ड की महत्त्वपूर्ण धरोहर है, जिसके कारण वर्तमान भूत से संवाद करता रहा है। यह ऐतिहासिक धरोहर है, जिसमें लोककंठ से निकलती आवाजें भी हैं… बिहार के सहरसा जनपद का महिषी ग्राम की उग्रतारा, भगवती और कोसी नदी आज भी जैसे साक्षी है।

Weight 0.750 kg
Dimensions 24 × 14 × 3 cm

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