अपराध और दंड साइबेरिया में निष्कासन का जीवन गुज़ारने के बाद फ्योदोर मिख़ाइलोविच दोस्तोयेव्स्की (11 नवम्बर, 1821-9 ़फरवरी 1881) की दूसरी रचना है जिसे लेखक के रूप में उनकी परिपक्वता की पहली उपज करार दिया जाता है।
यह उपन्यास पहले-पहल 1866 में रूसी सन्देशवाहक नाम की एक साहित्यिक पत्रिका में 12 मासिक किस्तों में प्रकाशित हुआ और, हालाँकि दोस्तोयेव्स्की का नाम तब रूसी पाठकों के लिए अनजाना नहीं था, फिर भी उपन्यास की पहली और दूसरी किस्तो (जनवरी और प़फरवरी 1866) ने रूसी बुद्धिजीवियों को झकझोरकर रख दिया।
उपन्यास के केन्द्रीय पात्र रस्कोलनिकोव नाम का एक भूतपूर्व छात्र है जिसका चरित्र हमें समकालीन ्रफ्रांसीसी उपन्यासकार एमिल ज़ोला के शिल्प की याद दिलाता है। लेकिन उसका अपराध जो था सो तो था ही, उसे जो दंड मिला उसका चित्र दोस्तोयेव्स्की जैसा कोई सिद्धहस्त कलाकार ही कर सकता था। कानून अपना काम कर सके, उससे पहले रस्कोलनिकोव कई मौतें मरता है और ऐसी हर मौत इस साधनहीन, दब्बू और लाचार नौजवान में थोड़ी-सी ही सही, तब्दीली पैदा करती है। यहाँ तक कि अन्त में कानून उस पर अगर अपना पंजा डालता है तो उसके अपने इकबाले-जुर्म के बाद ही डाल पाता है, और तब रस्कोलनिकोव हमें वह नहीं दिखाई देता जो वह उपन्यास के आरम्भ में था।
यह कोई अकारण नहीं कि अपराध और दंड को दुनिया की महानतम मनोवैज्ञानिक गाथाओं में शुमार किया जाता है। अपराध और दंड जितनी मनोवैज्ञानिक गहराइयों को समेटे हुए है, उसके क्षितिज की व्यापकता भी उतनी ही अधिक है। रस्कोलनिकोव की बहन दून्या और तवायफ़ सोन्या से लेकर मादाम मार्मेलादोव और लिज़ावेता तक, लुज़िन और स्वीद्रिगेलोव और लिज़ावेता तक, लुज़िन और स्वीद्रिगेलोव से लेकर पो़िर्फरी और रजुमीखि़न तक अनेक पात्रों की अलग-अलग दुनियाएँ यहाँ तक इकाई का निर्माण करती दिखाई देती हैं।
19वीं सदी के रूस में जारी सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच ही दोस्तोयेव्स्की का साहित्यिक जीवन आरम्भ हुआ। 1842 में वे सेना में लेफ्रिटनेंट थे और 1843 में उन्होंने बाल्ज़क के एक उपन्यास का अनुवाद किया जिसकी कोई ख़ास चर्चा नहीं हुई। सेना छोड़ने के बाद उन्होंने अपना रचना-कार्य शुरू किया और 1845 मंे उनके पहले उपन्यास ग़रीब लोग को भारी शोहरत मिली।
23 अप्रैल 1849 को दोस्तोयव्स्की को उदारवादी बुद्धिजीवियों की एक मंडली से जुड़े होने के कारण गिरफ्तार किया गया और एक संक्षिप्त न्याय-नाटिका के बाद 16 नवम्बर को उन्हें मौत की सज़ा सुनायी गयी। वे और उनके साथी हड्डियों को जमा देने वाली ठंड में खड़े भी किये गये ताकि एक ़फौजी दल उनको गोली मार सके, लेकिन ऐन उसी वक़्त उनकी सज़ा को चार साल के निर्वासन में बदलकर साइबेरिया भेज दिया गया।
कैद से उन्हें 1854 में रिहाई मिली।
इसके बाद से दोस्तोयेव्स्की का जीवन लगातार अव्यस्थित रहा जिसे व्यवस्था से उनकी अन्धी ऩफरत, शराबख़ोरी और जुएबाज़ी ने और भी तितर-बितर किया, यहाँ तक कि बाल्ज़क की तरह उन्होंने कुछ रचनाएँ सि़र्फ पैसे के लिए लिखीं। लेकिन अपराध और दंड से लेकर करामाज़ोव ब्रदर्स (1881) आखिरी बड़ी रचनाद्ध तक उनकी अधिकांश महत्त्वपूर्ण रचनाएँ इसी काल की उत्तपत्ति हैं।






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